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Monday, February 6, 2017
Saturday, February 4, 2017
Thursday, November 17, 2016
बैंक एटीएम आते रहिए जाते रहिए
नोट बदलवाने के लिए
एक्सिस बैंक की लाइन में खड़े-खड़े बोर होने लगा तो अपने आईडी प्रूफ की फोटोकॉपी
के पीछे कविता लिख दी। मुलाहिजा फरमाइए-
नोट बदलकर मंद-मंद
मुस्काते रहिए।
बैंक एटीएम आ ते रहिए
जाते रहिए।।
देश हुआ मदहोश होश
की चाह नहीं।
कौन बताए राह, राह
की चाह नहीं।।
भीड़ लगाकर ऐसे ही
टकराते रहिए।
बैंक एटीएम आते रहिए
जाते रहिए।।
नकली धोखा देते थे
पर कभी-कभी।
यह खयाल भी आता था
पर कभी-कभी।।
अब असली से प्रतिदिन
धोखा खाते रहिए।
बैंक एटीएम आते रहिए
जाते रहिए।।
अर्थव्यवस्था से
करके बरजोरी जो।
हर गरीब से करके
सीनाजोरी जो।।
खिसक गई है वह जमीन
खिसकाते रहिए।
बैंक एटीएम आते रहिए
जाते रहिए।।
रैली, भाषण, लूटपाट
और पत्थरबाजी।
बंद हुए हैं बोलो
भाई हां जी, हां जी।।
बदल रहा है देश ये
गाना गाते रहिए।
बैंक एटीएम आते रहिए
जाते रहिए।।
लंबी लाइन छोटा
पैसा।
सच्चा हो या ऐसा
वैसा।।
बैंक बंद हो जाए तो
गरियाते रहिए।
बैंक एटीएम आते रहिए
जाते रहिए।।
Saturday, April 25, 2015
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