महंगाई ने किया दिवाला, ये कैसी दीवाली।
हर मुंह से छिन रहा निवाला, ये कैसी दीवाली।।
कौन खरीदे सोना चाँदी, है तबाह आबादी।
सब्जी खाने में ही अब तो, होनी है बरबादी।
जिधर देखिये उधर घोटाला, ये कैसी दीवाली।।
लक्ष्मी जी तो स्विस विराजें, कैसे होगी पूजा।
हम गणेश गोबर के बन गए, रहा उपाय न दूजा।
कर्ज बनाता है मतवाला, ये कैसी दीवाली।।
ब्रांड बन गए मार्केट सज गईं, बिगड़ रहा इंसान।
जीवन कैसे जीना होगा, ये जानें भगवान।
लुटता है हर भोला भाला, ये कैसी दीवाली।।
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