शनिवार को भूकंप आने से पहले टीवी न्यूज चैनलों पर उनके एंकर गजेंद्र की आत्महत्या से जुड़े मामले को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं को पानी पी पी कर कोस रहे थे। ऐसा लग रहा था, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ठेका दे रखा है कि इसी मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को निपटा दो। पार्टी के नेताओं के माफी मांगने का भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा था। उनकी इस हरकत पर कोई रोक नहीं लग रही थी। अंत में उन्हें रोकने के लिए भूकंप को आना पड़ा।
आखिर ऐसा क्यों। इसके दो ही कारण हो सकते हैं। एक टीआरपी और दूसरा मोदी की कृपा। जनहित पर स्वार्थ को अंधा होते देख कर भूकंप को भी सहन नहीं हुआ और टीवी न्यूज चैनल के एंकरों को रोकने के लिए उसे आना पड़ा। हालांकि भूकंप से ज्यादा नुकसान की खबर नहीं आई है, लेकिन यह बात पक्की है कि भूकंप न आता तो ये टीआरपीखोर आम आदमी पार्टी नेताओं के पीछे न जाने कब तक पड़े रहते।
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी की समस्याओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील हैं। वह टीवी न्यूज चैनलों से बार बार आग्रह कर रहे हैं कि इस तरह की हरकत से बाज आएं और उन मुद्दों पर चर्चा शुरू करें, जो किसानों के जीवन से जुड़े हों। पिछले दिनों अखबार मालिकों से त्रस्त पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिशोदिया से मिला था। उस समय अरविंद केजरीवाल ने कहा था-हम अखबार मालिकों के साथ नहीं, पीडि़त पत्रकारों के साथ हैं। अब आप ही बताएं कि वह आम आदमी की समस्याओं के प्रति संवेदनशील न होते तो ऐसा बयान देने का जोखिम क्यों उठाते। यह बताने की जरूरत नहीं है कि लगभग सभी अखबार और न्यूज चैनल मजीठिया मामले की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली के मुख्यमंत्री के आदेश में भी कोई खबर नजर नहीं आती। हालत यह है कि बड़े बड़े मीडिया घराने एकपक्षीय पत्रकारिता का झंडा लिए खड़े हैं और यह करने में उन्हें कोई शर्म नहीं आ रही है। शायद यही वजह है कि इन मीडिया घरानों के भोंपू को नजर अंदाज कर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी की झोली में 70 में 67 सीटें डाल दी। अरविंद केजरीवाल इसके हकदार भी थे, इसमें कोई संशय नहीं है।
आखिर ऐसा क्यों। इसके दो ही कारण हो सकते हैं। एक टीआरपी और दूसरा मोदी की कृपा। जनहित पर स्वार्थ को अंधा होते देख कर भूकंप को भी सहन नहीं हुआ और टीवी न्यूज चैनल के एंकरों को रोकने के लिए उसे आना पड़ा। हालांकि भूकंप से ज्यादा नुकसान की खबर नहीं आई है, लेकिन यह बात पक्की है कि भूकंप न आता तो ये टीआरपीखोर आम आदमी पार्टी नेताओं के पीछे न जाने कब तक पड़े रहते।
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी की समस्याओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील हैं। वह टीवी न्यूज चैनलों से बार बार आग्रह कर रहे हैं कि इस तरह की हरकत से बाज आएं और उन मुद्दों पर चर्चा शुरू करें, जो किसानों के जीवन से जुड़े हों। पिछले दिनों अखबार मालिकों से त्रस्त पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिशोदिया से मिला था। उस समय अरविंद केजरीवाल ने कहा था-हम अखबार मालिकों के साथ नहीं, पीडि़त पत्रकारों के साथ हैं। अब आप ही बताएं कि वह आम आदमी की समस्याओं के प्रति संवेदनशील न होते तो ऐसा बयान देने का जोखिम क्यों उठाते। यह बताने की जरूरत नहीं है कि लगभग सभी अखबार और न्यूज चैनल मजीठिया मामले की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली के मुख्यमंत्री के आदेश में भी कोई खबर नजर नहीं आती। हालत यह है कि बड़े बड़े मीडिया घराने एकपक्षीय पत्रकारिता का झंडा लिए खड़े हैं और यह करने में उन्हें कोई शर्म नहीं आ रही है। शायद यही वजह है कि इन मीडिया घरानों के भोंपू को नजर अंदाज कर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी की झोली में 70 में 67 सीटें डाल दी। अरविंद केजरीवाल इसके हकदार भी थे, इसमें कोई संशय नहीं है।
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