संघर्ष यात्रा में मरना, जिसने स्वीकार किया था।
सत्य अहिंसा युक्त हृदय, दुनिया से प्यार किया था।
वह गांधी नाम हृदय में सबके, तब तक अमर रहेगा।
जब तक पृथ्वी के आंचल में जीवन सफर चलेगा।
अस्त्र विहीन साहसी सैनिक सेना को ललकारे।
विजयश्री ले लिए सहज ही भारत मां के प्यारे।
आजादी का वृक्ष उन्होंने अपने खून से सींचा।
यही हमें दायित्व दे दिए, कभी न हो सिर नीचा।
जीवन मुक्त हुए पर हममें, वे निवास करते हैं।
इसीलिए भीगी आंखों से सभी याद करते हैं।
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